तो इस वजह से दीपिका पादुकोण की फिल्म में एसिड हमलावर का नाम नदीम से बदलकर राजेश कर दिया गया - Boycott Chhapak-Controversy on Deepika Padukon
बात यह है कि दीपिका पादुकोण जे.एन.यू. के समर्थन में गई। दीपिका जी ने तो जे.एन.यू. में जाकर कुछ बोला भी नहीं। नागरिकता बिल, नागरिकता रजिस्टर, या फीस बढ़ोतरी पर भी कुछ नहीं बोला। भाजपा के खिलाफ भी कुछ नहीं बोला।
वे हिंसा के विरोध में वहाँ गई। इतना ही काफी था उनके भाजपा-विरोधी होने के लिए। खासकर इसलिए क्योंकि इस हिंसा में भाजपा के छात्र विंग ए.बी.वी.पी. के छात्रों की संलिप्तता की बात सामने आई है।
दीपिका की फिल्म 'छपाक' को बहिष्कार करने की बात चल पड़ी। लोग फिल्म की टिकट कैंसल करने के स्क्रीनशॉट लगाने लगे। सभी ने वड़ोदरा के एक सिनेमा हॉल की वही तीन सीट कैंसल करने का स्क्रीनशॉट लगा दिया।हाहाहाहा, कुछ ना कुछ गड़बड़ कर ही देते हैं ये लोग।
भाजपा के सांसद रमेश भिदुड़ी, संबित पात्रा और तेजिंदर बग्गा ने भी इसे बहिष्कार करने के लिए कारण बताया कि दीपिका पादुकोण ने जे.एन.यू. जाकर "टुकड़े-टुकड़े गैंग" का समर्थन किया है।
प्रकाश जावड़ेकर को अपने सांसद के बयान पर विरोध जताना पड़ा, और यह कहकर दीपिका के समर्थन में खड़ा होना पड़ा कि यह एक लोकतांत्रिक देश है, और कोई कहीं भी जा सकता है।
हिंसा की आलोचना निर्मला सीथारमन भी कर चुकी हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी पेटेंट चुप्पी साध ली है। उनकी तरफ से इसी को आलोचना समझ लीजिए।
इसलिए भले ही व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी पर तो कुछ भी चल सकता है, लेकिन फेसबुक और ट्विटर जैसे सार्वजनिक मंच पर खुलेआम यह कहना सही नहीं लगता कि
दीपिका पादुकोण ने नकाबपोश गुंडों द्वारा हिंसा किए जाने पर विरोध दर्शाया है। इस हिंसा में भाजपा के छात्र-विंग का हाथ बताया जा रहा है। इसलिए कोई भाजपा समर्थक या कोई हिंदू उनकी फिल्म को ना देखे।
तो अब खुन्नस कैसे निकालें। कुछ तो बहाना चाहिए।
सबसे आसान है कि हिंदू-मुस्लिम वाला कुछ लेकर आओ।
स्वराज्य नाम की एक पत्रिका में छप गया कि एसिड फेंकने वाले का नाम मुस्लिम नाम से बदलकर हिंदू नाम कर दिया है। ऐसी पत्रिकाएँ इसी काम के लिए इस्तेमाल होती हैं। "नेम-इट-लाइक-बॉलीवुड", "नदीम खान" और "राजेश" जल्द ही ट्रेंडिंग करने लगा। सुब्रमण्यन स्वामी ने तो मानहानि का दावा करने की धमकी दे दी।
लेकिन सारा खेल बिगाड़ने पहुँच जाते हैं ऑल्ट न्यूज़ वाले, जिनका मुख्य काम ही "हरेक झूठ का पर्दाफाश करना" होता है।वे पत्रकार अभिनंदन शेखरी से मिले, जो तेजाब हमले की पीड़ितों के लिए की गई "छपाक" की स्पेशल स्क्रीनिंग में इस फिल्म को देख चुके हैं।
Boycott Chhapak-Controversy on Deepika Padukon |
उन्होंने बताया कि
लक्ष्मी का नाम मालती रखा गया है।
मालती का दोस्त है राजेश।
एसिड फेंकने वाले का नाम बशीर खान, उर्फ बब्बू है।
अब यह झूठ का पर्दाफाश करने वाली खबर नवभारत टाइम्स के वायरल अड्डा में भी प्रकाशित हो चुकी है।उन्होंने पी.टी.आई. न्यूज़ एजेंसी से मिली जानकारी से इस झूठ का पर्दाफाश किया है।
न्यूज़ 18 में भी यह प्रकाशित हो चुका है।
अब तो स्वराज्य पत्रिका ने भी अपने ही झूठ का पर्दाफाश छाप दिया है।
ट्रिब्यून, आउटलुक, हिंदुस्तान टाइम्स जैसे और भी कई अखबार इसे प्रकाशित कर चुके हैं।
जिन लोगों ने यह झूठ फैलाई, क्या वे सब अब माफी माँगेंगे? माफ़ी माँगना तो छोड़िए, क्या वे अपनी भ्रांति फैलाने वाली फेसबुक पोस्ट या ट्वीट को हटाएँगे?
खैर, आखिर में दीपिका पादुकोण को सलाम, कि वे हिंसा के विरोध में आगे आईं। उनकी फिल्म की सफलता के लिए शुभकामनाएँ।
JAY HIND
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